खूनी रविवार क्या है?
दोस्तों रूस में जार निकोलस द्वितीय में निकोलस द्वितीय जार का उपनाम था। जार निकोलस द्वितीय रूस का अंतिम सम्राट था कहने का अर्थ है कि इसके बाद रूस में राजा महाराजा का अंत हो गया।
दोस्तों जार निकोलस द्वितीय केवल रूस का है शासक नहीं था बल्कि वह पोलैंड तथा फिनलैंड का ग्रैण्ड ड्यूक का भी शासक था। और साथ ही साथ वह आटोक्रैट काफी सम्राट था। जार निकोलस द्वितीय एक क्रूर शासक था।
बाथम मुद्दे की कर लेते हैं कि आखिर इस रविवार को ऐसी कौन सी घटना हुई उसमें जिसके कारण इस रविवार को खूनी रविवार का दर्जा दे दिया गया।
दोस्तों बहुत कुछ ऐसी थी की रूस जोकि दुनिया में सबसे ज्यादा क्षेत्रफल वाला देश है साथ ही साथ विश्व में एक मजबूत सैन्य शक्ति भी है, वाह तभी के एक छोटे से देश जापान से हार गया। यह बात वहां की जनता को हजम नहीं हुई या नहीं उन्हें अपने आप पर शर्म होने लगा।
कि वह कैसे राजा के नेतृत्व में रह रहे हैं जो हम से 80 गुना छोटे देश से हार गया। इसी बात पर वहां की जनता ने एकजुट होकर के 9 जनवरी 1905 को समूह प्रदर्शन किया।
यह समूह प्रदर्शन सेंट पीटर्सबर्ग मैं स्थित जार के महल की ओर जा रहा था। लेकिन जार की सेना ने इन निहत्थों प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाईं। और इसमें हजारों लाखों लोगों की जानें गए।
चूँकि यह दिन रविवार का था, इसीलिए इस रविवार को हम खूनी रविवार के रूप में जानते हैं।
अगर मैं आपको संक्षिप्त में बताऊं तो, जब रूस इतने छोटे से देश जापान से हार गया तो इसके जलन में वहां की जनता ने प्रदर्शन किया जो कि जार के महल जो सेंट पीटर्सबर्ग में स्थित था, वहां पर इन प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन करना था।
मगर जैसे ही वह लोग सेंट पीटर्सबर्ग में पहुंचे तो जार की सेना ने उन पर गोलियां बरसा दी, जिससे कई सारे लोगों की जान गई लगभग पूरे प्रदर्शनकारियों में से कुछ ही लोग बचे बाकी सब को मौत के घाट उतार दिया गया चुकी यह दिन रविवार का था, इसीलिए इसे खूनी रविवार बोला जाता है।
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